कृष्ण की लीलाओं को सुन भक्ति में डूबे भक्त
भक्ति रस की ऐसी बजी धुन की डूब गए भक्त श्याम, भक्त श्याम के कंधे में भगवान श्याम, अप्रवासी भारतीय चंद्रकांत पटेल तथा श्रीमद् भागवत सेवा समिति चिरमिरी की ओर से आयोजित है 07 दिवसीय भागवत कथा
भागवत कथा के पांचवे दिन भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन, श्रीमद भागवत कथा में प्रख्यात आचार्य मृदुल कृष्ण गोस्वामी ने सुनाया प्रसंग
देबाशीष गांगुली संवाददाता दैनिक केसरिया हिन्दुस्तान
चिरिमिरी। अप्रवासी भारतीय चंद्रकांत पटेल एवं परिवार तथा श्रीमद् भागवत सेवा समिति चिरमिरी की ओर से आयोजित श्रीमद भागवत कथा में आचार्य मृदुल कृष्ण गोस्वामी ने भागवत कथा के पांचवे दिन मंगलवार को भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया, जिसमें पूतना का वध और गोवर्धन पूजा का प्रसंग शामिल था। कथा में आज प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री भाजपा- रामप्रताप सिंह ,योग आयोग के अध्यक्ष- संजय अग्रवाल ,महापौर- रामनरेश राय सहित अन्य उपस्थित रहे कथा में भजन के दौरान स्वास्थ्य मंत्री पत्नी सहित जमकर थिरके
जहां स्वार्थ समाप्त होता है मानवता वहीं से प्रारम्भ होती है – आचार्य मृदुल कृष्ण शास्त्री
मानव योनि में जन्म लेने मात्र से जीव को मानवता प्राप्त नहीं होती। यदि मनुष्य योनि में जन्म लेने के बाद भी उसमें स्वार्थ की भावना भरी हुई है, तो वह मानव होते हुए भी राक्षसी वृत्ति की पायदान पर खड़ा रहता है। यदि व्यक्ति स्वार्थ की भावना को त्याग कर हमेशा परमार्थ भाव से जीवन यापन करे तो निश्चित रूप से वह एक अच्छा इन्सान है, यानी सुदृढ मानवता की श्रेणी में खड़ा होकर पर सेवा कार्य में रत है। क्योंकि परमार्थ की भावना ही व्यक्ति को महान बनाती है।
संसार जड़ है तो चेतन परमात्मा
आचार्य श्री मृदुल कृष्ण गोस्वामी महाराज जी ने कहा कि संसार की क्रिया से मन हटाकर यदि हम परमात्मा में लगा देते हैं तो वहीं परमात्मा में मिलन होता है हमारा मन चाबी की तरह है संसार की ओर मन घुमा दिया तो बंधन वही संसार के कर्तव्यों को निष्ठा पूर्वक निर्वहन करते हुए परमात्मा के चरणों में लगा दिया तो यही मन मोक्ष का द्वार है आनंद नंद के घर में ही पैदा होता है जीवन की समग्रता ही कृष्ण है व्यक्ति सुख बटोरता है तथा आनंद को लूटता है।
प्रेम और भक्ति से ही भगवान प्रसन्न होते हैं – आचार्य शास्त्री जी
महाराज श्री ने वृंदावन की सुंदर कथाओं का वर्णन किया। बकासुर, अघासुर आदि दैत्यों का उद्धार, कालिया मर्दन के बाद गोवर्धन धारण कर भगवान ब्रज वासियों की रक्षा की। अंत में कथा से सीख लेते हुए श्रोताओं से अपने जीवन को धन्य बनाने के लिए आह्वान किया। हर तरफ जय कन्हैया लाल के जयघोष की गूंज सुनाई दी। भजन-कीर्तन का दौर भी चला, इस बीच पूरा माहौल भक्ति में डूबा रहा।
माखन चोरी करना इस बात का प्रतीक था कि वे अपने भक्तों का प्रेम पाना चाहते थे
माखन चोरी प्रसंग की धुन बजते ही भक्त श्रोता भक्ति रस में लीन हो गए इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री श्याम भी खुद को रोक नहीं पाए। आचार्य श्री ने कहा कि हम जीवन में वस्तुओं से प्रेम करते है और मनुष्यों का उपयोग करते है। ठीक तो यह है कि हम वस्तुओं का उपयोग करें और मनुष्यों से प्रेम करें।