भूपेंद्र सिंह दैनिक केसरिया हिंदुस्तान
मैहर– ग्राम भदनपुर दक्षिण पट्टी में शासकीय भूमि को निजी संपत्ति में तब्दील करने का खेल बड़े ही सुनियोजित तरीके से रचा गया। आराजी क्रमांक 1067/4, जो हस्तलिखित खसरे में स्पष्ट रूप से शासकीय थी, लेकिन जैसे ही कंप्यूटरीकरण हुआ, यह जादुई तरीके से निजी संपत्ति में बदल गई! सवाल यह है कि यह चमत्कार हुआ कैसे?देशभर में कोई भी एजेंसी इस गोरखधंधे की परतें खोलने में सक्षम नहीं दिख रही, लेकिन मैहर प्रशासन इस घोटाले को देखकर भी अनदेखा कर रहा है। कूट रचना करने वालों पर FIR दर्ज करने की हिम्मत आखिर जिला प्रशासन कब दिखाएगा? क्या प्रशासन की कलम केवल गरीबों के झोपड़े गिराने तक सीमित रह गई है?
10 साल पहले रोपा गया भ्रष्टाचार का बीज आज वटवृक्ष बन चुका है। भू-माफियाओं को राजस्व अधिकारियों ने अपनी नर्सरी में तैयार किया और अब उनकी जड़ें इतनी गहरी हो गई हैं कि प्रशासन खुद को असहाय महसूस कर रहा है।प्रश्न तो यह भी उठता है कि क्या सरकारी सिस्टम खुद इन भूमाफियाओं का साझेदार बन गया है? या फिर प्रशासन किसी बड़े आदेश का इंतजार कर रहा है कि जब घोटाला पूरी तरह से पुराना और धुंधला पड़ जाए, तब कार्रवाई का दिखावा किया जाए?मैहर की जनता को यह जानने का हक है कि आखिर सरकारी ज़मीन को निजी संपत्ति में बदलने वाले कौन लोग हैं? और वे कौन-कौन से अधिकारी थे, जिन्होंने अपनी कलम से सरकारी ज़मीन को भूमाफियाओं की झोली में डाल दिया? जब तक इन सवालों के जवाब नहीं मिलते और दोषियों पर कानूनी कार्रवाई नहीं होती, तब तक प्रशासन की भूमिका भी संदिग्ध बनी रहेगी!