भूपेंद्र सिंह दैनिक केसरिया हिंदुस्तान
सरलानगर में संचालित डॉक्टर एम.एस. मंडल का दवाखाना स्वास्थ्य विभाग के लिए एक ऐसा मुद्दा बन गया है, जिस पर BMO और CHMO कार्रवाई करने से कतराते दिख रहे हैं। RTI में भले ही इस दवाखाने को अवैध घोषित कर दिया गया हो, लेकिन विभाग की रहस्यमयी चुप्पी और मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिशों से सवाल खड़े हो रहे हैं—आखिर डर किस बात का है? या फिर कहीं न कहीं इस खेल में विभाग की भी हिस्सेदारी तो नहीं?
मैहर में सील, लेकिन सरलानगर में ‘विशेष छूट’!
`अभी हाल ही में, जब अवैध दवाखानों का मामला तूल पकड़ा, तब मैहर में एक दवाखाना सील कर दिया गया, लेकिन सरलानगर में वही नियम लागू होते-होते ठिठक गए। क्या वजह है कि शहरी क्षेत्र में कार्रवाई तुरंत होती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में जनता को लूटने की खुली छूट दे दी जाती है?
स्वास्थ्य विभाग जवाब दे—सरलानगर में वैध दवाखाना कौन सा?
`जनता ने BMO से सीधा सवाल किया है कि अगर सरलानगर में कोई वैध दवाखाना है, तो सार्वजनिक रूप से उसका नाम और दस्तावेज बताए जाएं। यदि नहीं, तो स्वास्थ्य विभाग खुलकर स्वीकार कर ले कि यहां अवैध दवाखाने की कमाई किसी न किसी के पास पहुंच रही है, इसलिए कार्रवाई को जानबूझकर टाला जा रहा है।
कलेक्टर के हस्ताक्षेप के बिना नहीं होगी कार्रवाई?
`स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक पूरा मामला कलेक्टर के पास दस्तावेजों समेत नहीं पहुंचेगा, तब तक BMO कोई ठोस कदम नहीं उठाएंगे। आखिर स्वास्थ्य अधिकारी कार्रवाई से डर रहे हैं या फिर अवैध दवाखाने की परछाईं उनके दफ्तर तक पहुंच चुकी है? अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष जांच करेगा या फिर ‘अवैध’ को ‘वैध’ बनाने का नया तरीका खोज निकालेगा!